भारत के निर्वाचन आयोग के गठन और कार्य का वर्णन//
● Article 324 के अनुसार एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त होंगे तथा राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित संख्या में निर्वाचित , आयुक्त होते है ।
सुकुमार सेन पहले निर्वाचन आयुक्त थे सुकुमार सेन तथा के सुंदरम का मुख्य निर्वाचन आयुक्त के रूप में कार्यकाल सबसे अधिक 9 वर्ष था।
● 1950 से 1989 तक आयोग एक सदस्यीय संस्था थी, इसका मतलब की एक मुख्य चुनाव आयुक्त के अलावे इस सन्स्था में कोई और सदस्य नही होते थे, एक सदस्यीय सन्स्था होने के नाते एकाधिकार जैसा प्रतीत होता था,इसी को देखते हुए।। तारकुंडे समिति का गठन किया गया। तारकुंडे समिति ने 1975 में पहली बार आयोग को बहुसदस्यीय संंस्था बनाने की सिफारिश की थी।
● 1998 में आयोग को पहली बार बहुसदस्यीय सन्स्था बनाया गया, लेकिन 1990 में उच्चतम न्यायालय के एक आदेश पर वापस एक सदस्यीय संस्था बना दिया गया। दिनेश गोस्वामी समिति के सिफारिश पर 1993 से आयोग में मुख्य निर्वाचन आयुक्त के अलावा दो अन्य निर्वाचन आयुक्त होते है।
●Qualifications. योग्यता
सविधानं में योग्यता संदर्भ में मौन है। लेकिन एक परंपरा से रही है, भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारियो को ही इन पद पर नियुक्त की जाती रही है।
●( नियुक्ति appointment )
व्यवहार में मंत्रिपरिषद की सिफारिश पर उनकी अनुसन्सा पर चुनाव आयुक्तों को नियुक्त किया जाता है।
★इस संदर्भ में कोई कोलेजियम नही है। (Golden ZERO)
● कार्यकाल ( work)
सविधानं में कार्यकाल को लेकर कोई प्रावधान नही है, कुछ नही लिखा,सविधान में उल्लेखित नही है,
कार्यकाल 6 वर्ष तथा सेवानिवृत्त की आयु 65 वर्ष होती है
● हटाना Removal , Impeachment (महाभियोग)
(1) अनुच्छेद 324 के अनुसार मुख्य निर्वाचन आयुक्त को उसी विधि से हटाया जा सकता है, जिस विधि से अनुच्छेद 124 (4) के तहत सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश को उनके पद से हटाया जाता है।
(2) अनुच्छेद 324 में यह उल्लेखित है कि अन्य निर्वाचन आयुक्तों को मुख्य निर्वाचन आयुक्त के सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा हटाया जाता है।
वर्ष 2009 में तत्कालीन निर्वाचन आयुक्त नवीन चावला को हटाने के लिये सिफारिश की गई थी,लेेकिन नही हटाया गया।
कहा जाता है कि इश्मे किसी का personal intrest सामिल थे
● कार्य Work
★ चुनाव कराना
★अनुच्छेद 324 के तहत राष्ट्रपति ,उप राष्ट्रपति राज्यसभा, लोकसभा ,विधानसभा ,विधानपरिषद के चुनाव करवाना है
★ चुनाव के संदर्भ में अधिसूचना जारी करना
★ अचार शाहिता को लागू कवाना
Note.. 1971 में पहली बार आचार संहिता बनाई गई,इसका उलंघन होने पर ,आयोग उमीदवारी खारिज कर सकता है, चुनाव लड़ने पर रोक लगा सकता है, अथवा राजनैतिक दल की मान्यता समाप्त कर सकता है।
★ मतदाता सूचियां त्यार करना।
★चुनाव सबन्धी विवादों की प्रारंभिक सुनवाई करना भी आयोग का कार्य है। लेकिन राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव सबन्धी विवादों में आयोग का कोई भूमिका नही होता है।
★ प्रत्येक 10 वर्षों में परिसीमन किया जांना चाहिए।
★ Article 327 के तहत परिसीमन के संदर्भ में संसद कानून बनाती है।
★अब तक 4 बार परिसीमन आयोग का गठन किया गया है, हो ( 5 वा आयोग का गठन जल्दी ही होगा जम्मू कश्मीर मामले पर)
★ पहली बार 1952 मे तथा अंतिम बार 2002 मे आयोग का गठन किया गया था।
★ जस्टिस कुलदीप सिंह परिसीमन आयोग के पदेन अध्यक्ष थे।
★ मुख्य निर्वाचन आयुक्त इस आयोग के पदेन सदस्य होते है।
★ वर्तमान में 1971 के जनशख़्या के आकार पर स्थानो का आवंटन तथा 2001 के जनसंख्या के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों का निर्धारण किया गया है।
★ वर्ष 2026 तक यही परिसीमन रहेगा 84वे व 87वे सविधानं सांसोधन द्वारा ये प्रावधान किया गया है
● Article 329 के तहत परिसीमन को किसी भी न्यायलय में चुनौती नही दी जा सकती है।
★ राजनीतिक दलों को मान्यता देना।
(a) वर्तमान में 1841 पंजीकृत राजनैतिक दल है
(b) राजनीतिक दल की मान्यता हेतु 10 हजार रुपये तथा 100 सदस्यों की आवश्यकता होती है।
(c) वर्तमान में 7 राष्ट्रीय दल तथा 49 राज्य दल है
●. National Party
वर्तमान में 7 मौलीक अधिकार है इसकी मान्यता के निम्न आधार है।
(a) चुनाव में कुल वैलिड वोट का 6% तथा लोकसभा की 4 सीट प्राप्त करने पर
(b) लोकसभा की कुल सीटो का 2% यानी 11सीट प्राप्त करने पर , ये सीट तिन राज्यों से प्राप्त होना चाहिए
(c) कम से कम 4 राज्यो में राज्य फल का दर्जस प्राप्त होने पर
राष्ट्रीय दल , (National Party's of India) एवं स्थापना वर्ष।।
(1) Congress party (कॉंग्रेस) 1885
(2) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भकपा 1925)
(3) माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा 1964)
(4) भारतीय जनता पार्टी 1980
(5) बहुजन समाजवादी पार्टी 1984
(6) तृणमूल कॉंग्रेस 1998
(7) राष्ट्रवादी कॉंग्रेस पार्टी 1999
Note... सितंबर 2016 में तृणमूल कॉंग्रेस को ,प० बंगाल , अरुणाचल प्रदेश ,त्रिपुरा, मेघालय में राज्य दल का दर्जा होने के कारण राष्ट्रीय दल का दर्जा मिला
■■■ राज्य दल।
(A) राज्य दल ल दर्जा प्राप्त करने के लिए valid vote का 6% प्राप्त करने पर
(B) लोकसभा के प्रत्येक 25 सीट पर 1 सीट प्राप्त करने पर
(C) विधान सभा का कुल सीटों का 3% अथवा 3 सीट प्राप्त करने पर। इनमें से जो भी अधिक हो
(D) चुनाव में वैध्य valid vote का 8% प्राप्त करने पर
Note.. एक बार राज्य दर्जा मिल जाने पर 10 वर्षों तक मान्यता रहती है।
।।।।।।।धन्यवाद।।।।।।