【गहन अध्ययन, Deep analysis in simple language】
विश्व का पहला ओम्बुड्समैन 1809 में स्वीडन में स्थापित हुआ था।
● लोकपाल ओम्बुड्समैन का ही भारतीय संस्करण है
ओम्बुड्समैन स्वीडिश भाषा का शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ ( जन शिकायतों को सुनने वला) होता है।
● 1963 में लक्ष्मीमल सिंघवी जो राजस्थान के रहने वाले है यह प्रख्यात न्यायविद एवम सविधानं के विशेषज्ञ थे, इन्होंने ही। लोकपाल शब्द दिया था।
5 जनवरी 1966 में मोरारजी देसाई की सरकार की अध्यक्षता में प्रशाशनिक सुधार आयोग का गठन किया गया।
● बाद में मोरारजी देसाई के केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल हो जाने की वजह से के के. हनुमंतैया को अध्यक्ष नियुक्त किया गया आयोग ने अपनी पहली रिपोर्ट 20 अक्तूबर, 1966 को तथा दूसरी रिपोर्ट 30 जून, 1970 को पेश की जिनमें कुल 578 सुझाव दिये गए थे।
● आयोग की सिफारिश पर मई 1968 में इंदिरा गांधी की सरकार द्वारा लोकपाल की स्थापना हेतु राज्य सभा मे विधयक लाया गया।
● भारत मे लोकपाल (LOKPAL) के लिए 10 बार विधयेक लाया जा चुका था अंतिम बार दिसम्बर 2011 में लाया गया है।
आपको याद होगा दिल्ली की रामलीला मैदान में अनाहजारे का अनशन इन्होंंने सरकार को झुका ही दिया था, इनकी मांग
देशहीत में था राष्ट्रहित में था, इश्लिये सरकार को झुकना पड़ा।।
लोकपाल कोई आम सन्स्था नही है, यह बड़े बड़े नेताओं ,और प्रशाशनिक अधिकरियों पर नकेल कसने वाली एक मजबूत सन्स्था है।
भ्र्ष्टाचार के विरुद्ध कार्य करने वाले संथाओ में सर्वोच्य है।
यहां तक तो समझ मे आती है, लेकिन लोकपाल को जितनी शक्तियां दी हुई है उतनी शक्ति किसी अन्य सन्स्था को नही है। दोषी पाने पर लोकपाल प्रधानमंत्री को भी दंड दे सकता है, उच्च पद पर विराजमान नेता लोग, मंत्री, IAS, IPS, जैसे बहुत से अन्य अधिकारी, लोकपाल की शक्तियों के भय से लोकपाल बिल को संसद में पेश पास ही नही होने देते थे,
गांधी वादी विचार वाले अना हजारे ने उस समय केे प्रधानमंत्री मनमोहन
सिंह से स्वाल किया कि उनके जैसा ईमानदार नेता प्रस्तावित लोकपाल के दायरे में आने से क्यों डर रहे है। । आप समझ गए होंगे कि यह सन्स्था से क्यों डर रहे थे, नेता गण, और क्यों इतने दिनों तक लोकपाल बिल को संसद में पास ही नहो होने दिए।
● लोकपाल (lokpal)एक संस्था है जिश्मे एक अध्यक्ष और आठ अन्य सदस्य होते है। (1+8) जिनमे 50% न्याययिक सदस्य होते है अर्थात( किसी कोर्ट के न्यायधीश)
अध्यक्ष और सदस्यों को भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त। वारंट जारी कर नियुक्त किया जाता है जिसे अधिपत्र भी कहा जाता है।
◆ योग्यता Qalification ◆
(a) अध्यक्ष के पद पर ऐसा वेक्ति नियुक्त किया जाएगा जो। या तो उच्चतम न्यायालय में मुख्य न्यायधीश हो ,या उच्चतम न्यायालय में मुख्य न्यायधीश रह चुका हो
या
भ्र्ष्टाचार निरोधी नित्ति, सार्वजनिक प्रशाशनिक , सतर्कता ,वित्त ,बीमा,और बैंकिंग, कानून प्रबंधन में न्यूनतम 25 वर्षों का विशिष्ट अनुभव हो
(b). कम से कम आधे सदस्य ऐसे वेक्ति होंगे जो न्याययिक पृष्टभूमि से हो, साफ साफ लिखा है, उच्चतम न्यायालय अथवा उच्च न्यायलय के मुख्य न्यायधीश
(c) SC/ST/OBC महिला तथा अल्पशङ्ख्यक वर्ग से एक एक वेक्ति सदस्य होना चहिए
(d) न्यूनतम आयु 45वर्ष होना चाहिए
◆ Appointment नियुक्ति◆
(क). कोलेजियम के सिफारिश पर राष्ट्रपति
द्वारा।
(ख). ●प्रधानमंत्री इस कॉलेजियम का पदेन अध्यक्ष होते है जबकि
● भारत के मुख्य न्यायधीश,
● लोकसभा अध्यक्ष
● लोकसभा में विपक्ष के नेता,
● तथा रास्ट्रपति द्वारा नियुक्त एक अन्य वेक्ति।
(ग).कुल 5 लोक इस कॉलेजियम का हिस्सा होते है।
◆ कॉलेजियम के सदस्यों का (दर्जा। Status)◆
● सभापति अर्थात अध्यक्ष का दर्जा भारत के मुख्य न्यायाधीश के समान होगा, और उसके सदस्यों का दर्जा उच्चतम न्यायालय के न्यायधीशों के बराबर होगा।
◆ कार्यकाल Tenure◆
● 5 वर्ष अथवा 70 वर्ष
● कोई भी वेक्ति अपने पद पर पुनर्नियुक्ति नही हो सकता है
● सेवानिवृति के बाद भारत सरकार या किसी बीबी राज्य सरकार के अधीन कोई लाभ का पद नहो लिया जा सकता।
●तथा किसी प्रकार का चुनाव नही लड़ सकते।
◆Removal हटाना◆
● इस संदर्भ में संसद के कम से कम 100 सदस्य द्वारा राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्ताव रखा जाता है।
● कदाचार और अक्षमता के आरोप में प्रस्ताव लाया जा सकता है।
● राष्ट्रपति सर्वोच्य न्यायलय से इस प्रस्ताव की जांच करवाते है।आरोप सही पाए जाने पर राष्ट्रपति उन्हें हटा सकते है।
● जांच के दौरान राष्ट्रपति इन्हें निलंबित कर सकते है।
◆ शक्ति Power ◆
> CPC 1908 के तहत लोकपाल को निम्न शक्तियां प्राप्त है।
● समन जारी करना।
● सपथ पत्र पर गवाही लेना।
● गवाही की Audio Video रिकॉर्डिंग करना
> इसके अतिरिक्त निम्नलिखित शक्तियां है।
● आरोपित अधिकारी का अस्थान्तरण। (transfer) का आदेश दे सकते है।
● CBI से जांच करवा सकता है। इस दौरान CBI लोकपाल की प्रति उत्तरदायी होगा।
● लोकपाल के स्वयं के न्यायालय होगा जिन्हें मामला का निबटारा होगा, अधिकतम 12 महीने से पहले जांच पृरी करना है यह अनिवार्य है।
● दोषी अधिकारि से भ्र्ष्टाचार की राशि वशूल कर सकता है।
● दोषी अधिकारी के संपति कुर्क कर सकता है।
◆लोकपाल का क्षेत्राधिकार◆
● प्रधानमंत्री लेकिन उनके द्वारा परमाणु ऊर्जा, आंतरिक सुरक्षा ,विदेशी सबन्ध तथा लोकव्यवस्था के बारे में लिए गए निर्णय इसके दायरे से बाहर होंगे बाकी सब इसके दायरे में होगा।
● केंद्र सरकार के सभी मंत्री तथा पूर्व मंत्री।
● सभी वर्तमान सांसद तथा पूर्व सांसद
● अखिल भारतीय सेवाओं के सभी अधिकारी तथा सेवानिवृत्त अधिकारी।
● केंद्रीय सेवाओ के सभी श्रेणियों के सभी अधिकारी तथा पूर्व अधिकारी।
● संसदीय अधिनियमो से स्थापित सभी संस्थाओ के अधिकारी व कर्मचारि तथा सेवानिवृत्त अधिकारी
● विश्व के किसी अन्य भाग में कार्यरत भारत सरकार के अधिकारी व कर्मचारि।
> लोकपाल स्वयं किसी प्रकार की सजा नही देता है।। जो बड़े बड़े संस्थाए है वो देगी सजा,
> 7 वर्ष से पुराने मामले की जांच नही होगा।
> झूठी शिकायत करने पर 1 लाख की जुर्माना अथवा 1 महीने के सजा हो सकती
FAQ.............लोकपाल से संबंधित प्रश्न
वर्तमान में भारत के लोकपाल कौन है? सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष को लोकपाल का पहला अध्यक्ष नियुक्त किया गया/
लोकपाल में कितने सदस्य होते हैं ?
लोकपाल क्या है?
लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013
लोकपाल का अर्थ?
लोकपाल का महत्व?